अक्सर तलाक़ के समय महिलाओं को बहुत से अधिकार लेते देखा गया हैं। हमारे भारत के लॉ में पुरुष की सुविधा के लिए बहुत से लॉ बनाए गए हैं जिनकी पूरी जानकारी ना होने की वजह से अक्सर पुरुषों को तलाक़ के समय ये बोलता देखा गया हैं कि भारत लॉ में पुरुष की सुरक्षा के लिए कोई लॉ नहीं बनाए गए हैं लेकिन ये पूरी तरह से सच नहीं हैं।
अगर आप भी ये जानना चाहते हैं कि तलाक के बाद पति के वित्तीय अधिकार क्या हैं?, तो हमारा ये आर्टिकल आपके लिए बहुत उपयोगी होने वाला हैं तो बने रहिये हमारे इस आर्टिकल के साथ अंत तक!!!
तलाक़ के बाद पति भी ले सकता हैं गुज़ारा भत्ता:
जब पति-पत्नी अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं होते हैं तो वह एक-दूसरे से तलाक़ ले लेते हैं।
तलाक़ के बाद सबसे एहम मुद्दा गुज़ारा भत्ता का आता हैं जो एक-दूसरे की जरूरत और कमाई के ऊपर निर्भर होता हैं।
पति-पत्नी में से जो भी दूसरे पर निर्भर होता हैं उसे अपने साथी को जरूरत के हिसाब से महीने का भत्ता देना होता हैं।
इस गुज़ारे भत्ते की कोई सीमा नहीं होती हैं ये साथी की जरूरत और कमाई पर निर्भर करता हैं। अगर पति पत्नी पर निर्भर हैं तो पत्नी को भी पति को गुज़ारा भत्ता देना होगा।
चाइल्ड कस्टडी:
अगर शादी के बाद बच्चे भी हैं और चाइल्ड कस्टडी पति को दी जाती हैं तो माँ को भी बच्चे के पालन-पौषण के लिए पति की वीत्तीय मदद करनी होगी।
बेरोजगार पति:
अगर पति कोर्ट में ये साबित कर दे कि वह बेरोजगार हैं और वह कुछ नहीं कमाता हैं और पत्नी पर ही आर्थिक रूप से निर्भर हैं तो ऐसे में भी पत्नी को अपने पति को तलाक़ के बाद गुज़ारा भत्ता देना होगा और पति को कोई गुज़ारा भत्ता अपनी पत्नी को नहीं देना पड़ेगा।
निष्कर्ष:
हम उम्मीद करते हैं कि इस आर्टिकल में हमारे द्वारा दी हुई हर जानकारी आपके लिए बेहद लाभदायक हैं।
लेकिन अगर आप अभी भी कोई प्रश्न पूछना चाहते हैं तो हमारे पेज पर नीचे दिए गए फॉर्म को अपनी सही जानकारी के साथ भरकर जमा कर दे।
हमारी टीम आपसे जल्द से जल्द जुडकर आपके सभी सवालों को हल करने की पूरी कोशिश करेगी।