क्या मैं पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से दिल्ली में प्रॉपर्टी ट्रारंसफर कर सकता हूं?
अगर आप पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से दिल्ली में प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने की सोच रहे हैं तो तुरंत रुक जाये क्यूंकि सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में एक आदेश जारी किया हैं जिसके मुताबिक़ जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (जीपीए) के जरिए प्रॉपर्टी बेचना बिलकुल अवैध कर दिया हैं।

ये समझने के लिए आपको सबसे पहले यह समझना होगा कि पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी क्या होता हैं?

यह कितनी प्रकार की होती हैं और ये काम कैसे करती हैं?

यदि आप भी यही सब समझना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए बहुत ही मददगार साबित होने वाला हैं. इसीलिए बिना देरी किये चलिए शुरू करते हैं पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी समझने की!!!

पावर ऑफ अटॉर्नी क्या हैं?

पावर ऑफ अटॉर्नी एक ऐसी पॉवर हैं जिसे अगर अाप किसी और व्यक्ति को देते हैं तो उस व्यक्ति को आपकी जगह कुछ कानूनी और फाइनेंशियल बिजनेस के फैसले लेने का हक़ मिल जाता हैं।

इसे एक उदाहरण के तौर पर भी समझा जा सकता हैं.

फ़र्ज़ कीजिये, आपका बहुत बड़ा बिज़नेस हैं और पुरे भारत में फैला हैं।  लेकिन आप कुछ निजी या किसी और कारणवश जल्दी-जल्दी ट्रेवल नहीं कर सकते तो आप अपने किसी भरोसेमंद व्यक्ति के नाम पावर ऑफ अटॉर्नी कर सकते हैं और अपने बिज़नस का उस व्यक्ति को प्रतिनिधि चुनते हैं।

ऐसे में प्रतिनिधि के पास आपकी जगह बिज़नेस के फायदे के लिए कुछ कानूनी और फाइनेंशियल फैसले लेने का हक़ आ जाएगा, जो आपकी गैर-मौजौदगी में प्रतिनिधि अपनी सूझ-बुझ से ले सकता हैं।

 

पावर ऑफ अटॉर्नी कितने प्रकार का होता हैं?

मुख्य रूप से पावर ऑफ अटॉर्नी दो प्रकार का होता हैं.

 

जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी 

जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी में प्रतिनिधि को ज्यादा अधिकार दिए जाते हैं जैसे वह मालिक की जगह पर बिल भर सकता हैं, झगड़े सुलझा सकता हैं, किराया ले सकता हैं, इसके आलावा आपके बैंक से जुड़े काम भी कर सकता हैं।

स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी

स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी में मालिक प्रतिनिधि को कुछ स्पेशल पॉवर देता हैं। जैसे यदि मालिक चाहता हैं कि प्रतिनिधि किसी मुख्य केस में प्रतिनिधित्व करे तो मालिक उस केस के लिए प्रतिनिधि को स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए नियुक्त कर सकता हैं।

 

नोट:

एक बात का आपको जरुर ध्यान रहना चाहिए कि पीओए को कानूनन दर्जा देने के लिए बिज़नेस के मालिक को सब-रजिस्ट्रार दफ्तर में रजिस्टर कराना पड़ता है और पीओए केवल मालिक के जिन्दा रहने तक ही मानी होती हैं।

उसके बाद प्रतिनिधि के सभी अधिकार खत्म हो जाते हैं और स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी वह काम खत्म हो जाने के बाद ऑटोमेटिकली एक्सपायर हो जाती हैं।

 

निष्कर्ष:

तो दोस्तों, अब तक तो आप को पता चल गया होगा कि पावर ऑफ अटॉर्नी का इस्तेनाल प्रॉपर्टी ट्रान्सफर करने के लिए नहीं किया जा सकता।

यह बिलकुल अवैध माना जाता हैं, लेकिन फिर भी भारतीय शेहरो में जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिये प्रॉपर्टी बेचना बहुत ही आम बात हैं क्यूंकि इससे बेचने वाले और खरीदने वाले को काफी फायदे होते हैं।

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