घरेलू हिंसा अधिनियम कानून 2005

आजकल किसी भी महिला के साथ हिंसा की खबर बडे आराम से सुनने को मिल जाती हैं।

सबसे ज्यादा घरेलु हिंसा के मामले सामने आते हैं जो आमतौर पर महिला के ही साथ होते हैं। ये सब समाज के द्वारा किये गए महिला के साथ अत्याचार घरेलु हिंसा कानून के अंतर्गत आते हैं।

घरेलु हिंसा कानून क्या होता हैं?

जब किसी महिला के घर की चारदीवारी में उसके घरवालो के द्वारा किसी भी तरह की हिंसा, मारपीट, उत्पीड़न आदि किया जाता हैं, तो वह घरेलु हिंसा कानून के अंतर्गत आते हैं।

यदि महिला के साथ जबरदस्ती झगड़ा, गाली देना, उसका अपमान करना, उसकी मर्जी के बिना उससे शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश करना, जबरन शादी के लिए उत्पीड़न दिया जा रहा हो तो यह सब घरेलु हिंसा के अंदर ही आते हैं। इसी के साथ दहेज़ की मांग, महिला की इच्छा के बिना नौकरी छुड़वाना या उनसे जबरदस्ती मारपीट करना भी इसी कानून के अंदर आता हैं।

घरेलु हिंसा को कुछ 4 तरह से बाँटा गया हैं जो कि निचे दिए गए हैं।

  1. शारीरिक हिंसा,
  2. लैंगिक हिंसा,
  3. मौखिक और भावनात्मक हिंसा,
  4. आर्थिक हिंसा

शारीरिक हिंसा (Physical Violence): इसके अंतर्गत निम्नलिखित व्यवहारों को शामिल किया गया है-

  1. मारपीट करना,
  2. थप्पड़ मारना,
  3. ठोकर मारना,
  4. दाँत से काटना,
  5. लात मारना,
  6. मुक्का मारना,
  7. धकेलना,
  8. किसी अन्य तरह से शारीरिक पीड़ा या क्षति पहुँचाना आदि।

लैंगिक हिंसा (Sexual Violence):

  1. बलात्‌ लैंगिक मैथुन।
  2. अश्लील साहित्य या कोई अन्य अश्लील तस्वीर देखने के लिए विवश करना।
  3. दुर्व्यवहार करने, अपमानित करने या नीचा दिखाने हेतु लैंगिक प्रकृति का कोई अन्य कार्य करना जिससे सम्मान को चोट पहुँचती हो।

मौखिक और भावनात्मक हिंसा (Verbal and Emotional Violence):

  1. अपमान करना,
  2. गालियाँ देना,
  3. चरित्र और आचरण पर दोषारोपण,
  4. पुत्र न होने पर अपमानित करना,
  5. दहेज इत्यादि न लाने पर अपमानित करना,
  6. नौकरी करने से निवारित करना,
  7. नौकरी छोड़ने के लिए दबाव डालना,
  8. विवाह नहीं करने की इच्छा पर भी विवाह के लिए विवश करना,
  9. पसंद के व्यक्ति से विवाह करने से रोकना,
  10. किसी विशेष व्यक्ति के साथ विवाह करने के लिए विवश करना,
  11. आत्महत्या करने की धमकी देना,
  12. कोई अन्य मौखिक या भावनात्मक दुर्व्यवहार इत्यादि।

आर्थिक हिंसा (Economic Violence):

  1. बच्चों के अनुरक्षण के लिए धन उपलब्ध न कराना।
  2. बच्चों के लिए खाना, कपड़े और दवाइयाँ उपलब्ध न कराना।
  3. रोजगार करने से रोकना अथवा उसमें बाधा पहुँचाना।
  4. वेतन से प्राप्त आय को ले लेना।
  5. निर्धारित वेतन न देना।

घरेलू हिंसा अधिनियम

यदि देखा जाए तो लगभग भारत की 70% महिला घरेलु हिंसा की शिकार हैं।

ऐसी ही महिलओं को सुरक्षा देने के लिए भारतीय सरकार ने घरेलू हिंसा अधिनियम कानून 2005 में बनाया जो कि 26 अक्टूबर 2006 में पुरे देश में लागु हुआ।

इस कानून के तेहत यदि किसी महिला पर जबरदस्ती उत्पीड़न या अविवाहित लड़की पर किसी पुरुष के साथ रह रही महिला मारपीट, यौन शोषण, आर्थिक शोषण या फिर अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल पाया गया तो उसपर कानूनी करवाई हो सकती हैं।

घरेलू हिंसा का फैसला अब 60 दिन में हो जाने का भी नया नियम लागू हुआ हैं

महिला को क्या मदद मिलती हैं?

यदि कोई घरेलू हिंसा से उत्पीड़ित महिला चाहे तो वह अपनी सुरक्षा के लिए जज के सामने बचावकारी आदेश दे सकती हैं यदि इस कानून का उलंघन होता हैं तो इसमें जेल या सजा का भी प्रावधान हैं।

निष्कर्ष

Domestic Violence किसी भी तरह से सही नहीं हैं इसीलिए हमने इस बारे में पूरी जानकारी इस लेख में दे दी हैं अगर आप और जानकारी लेना चाहते हैं, तो निचे दिए गए फॉर्म को फिल करे आपके द्वारा दी गयी जानकारी की मदद से हम आपको और जानकारी देने में सहायक होंगे।

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