जानिए क्या होता हैं उपभोक्ता कानून

इस दुनिया में रहने वाला हर इंसान अपने देश का नागरिक होने के साथ-साथ कही न कही एक उपभोक्ता भी हैं।

यदि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 देखा जाए तो जब कोई व्यक्ति अपनी जरूरत के अनुसार कोई उपयोग होने वाली वस्तु खरीदता हैं तो वह उपभोक्ता बन जाता हैं।

लेकिन जैसे कि भारत में भ्रष्टाचार काफी बढ़ चूका हैं तो उपभोक्ता भी इससे बचे नहीं हैं।

आजकल बाज़ार में जमाखोरी, कालाबाजारी, मिलावट, अधिक दाम, कम नाप-तौल जैसे सब हरकते अपनी सीमा को पार कर रहे हैं। जिसका एक मुख्य कारण उपभोक्ताओं में एकता कि कमी भी हैं।

इन्ही सब हालात को देखते हुए भारत सरकार ने उपभोक्ता कानून बनाया हैं जिसकी मदद से नागरिक अपने उपभोक्ता अधिकार समझ सके।

उपभोक्ताओं को शोषण से बचाने के लिए 24 दिसंबर, 1986 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 पुरे भारत देश में लागू किया गया था। जो 2000 से पूर भारत में शुरू हुआ।

उपभोक्ता कानून की अहमियत लोगो को समझाने के लिए और जागरूक करने के लिए यह दिन मनाया भी जाता हैं।

अगर किसी उपभोक्ता के साथ कोई धोखाधड़ी होती हैं तो उसको इसके खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने का भी पूरा अधिकार दिया गया हैं।

उपभोक्ताओं के क्याक्या अधिकार होते हैं?

  • यदि कोई व्यक्ति कोई सामान या सेवा लेता हैं और वह उसके जीवन या संपत्ति के लिए हानिकारक हैं तो वह व्यक्ति उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करवा सकता हैं।
  • यह कानून उपभोक्ता को पूरा अधिकार देता हैं कि वह कोई सामान लेने से पहले उसकी गुणवत्ता, मात्रा, क्षमता, शुद्धता, स्तर और मूल्य, सबकी जानकारी ले। जिससे कि व्यापारी गलत सामान ना बेच पाए।
  • कोई भी सेवा या वस्तु उपभोक्ता को उचित मूल्यों और गुणवत्ता के साथ मिले।
  • उपभोक्ताओं के भले पर विचार करने के लिए जो अलग-अलग प्रकार के मंच बनाये गए हैं उनपर उनका पूरा हक हैं।
  • यदि कोई व्यापारी गलत सामान बेच रहा हैं तो उसके खिलाफ निपटान का उन्हें पूरा अधिकार हैं।
  • यदि कोई व्यक्ति सूचना संपन्न उपभोक्ता बनना चाहता हैं तो उसके लिए उन्हें पूरा ज्ञान और कौशल प्राप्त करने का पूरा हक़ हैं।
  • उपभोक्ता को अपने हक और हित के लिए आवाज़ उठाने का पूरा अधिकार हैं।

एक उपभोक्ता शिकायत कहाँ कर सकता हैं?

अगर किसी वस्तु या सेवा से जुड़ी शिकायत कोई उपभोक्ता करवाना चाहता हैं तो यह सामान सेवाओं की लागत और उसके मांगे गए भुगतान पर निर्भर करता हैं।

राशि 20 लाख से कम

यदि राशि 20 लाख से कम हैं तो उपभोक्ता अपनी शिकायत जिला फोरम में करवा सकता हैं।
राशि 20 लाख से ज्यादा

यदि राशि 20 लाख से ज्यादा और 1 करोड़ से कम हैं तो राज्य आयोग में उपभोक्ता को शिकायत दर्ज करानी होगी।
राशि 1 करोड़ से ज्यादा

लेकिन यदि राशि 1 करोड़ से भी ज्यादा हैं तो राष्ट्रीय आयोग के सामने शिकायत दर्ज करनी होगी।

शिकायत कैसे करे?

यह सवाल अक्सर उपभोक्ता के मन में आता हैं कि आखिर शिकायत कैसे करनी हैं।

यदि कोई उपभोक्ता किसी व्यापरी के खिलाफ या कोई व्यापरी उपभोक्ता के खिलाफ शिकायत दर्ज करना चाहता हैं तो वह एक सादे कागज़ पर अपनी शिकायत लिखकर, साथ में अपनी और जिसके खिलाफ शिकायत दर्ज कर रहा हैं उसका नाम, पता, शिकायत से सबंधित वाक्य और यह सब कब, कहाँ हुआ, यह सब बताना होगा।

किसी वकील कि जरूरत नहीं

शिकायत दर्ज करने वाले व्यक्ति को इस काम के लिए किसी वकील कि जरूरत नहीं होती हैं। और इस काम के लिए कुछ छोटा सा शुल्क भी लगता हैं।

निष्कर्ष

उम्मीद करते हैं कि आप उपभोक्ता क़ानून से जुड़ी सभी जानकारी से सहमत हैं। यदि आपके मन में कोई भी सवाल हैं तो निचे दिए गए फॉर्म को आप अपनी सही जानकारी के साथ भर सकते हैं और हमसे संपर्क कर सकते हैं। हम आपके सवाल को हल करने का प्रयास करेंगे।

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