क्या हैं एस्मा एक्ट?

यह बात सभी जानते हैं कि भारत एक लोकतांत्रिक देश हैं। भारत के नागरिको को बिना किसी ऊँच-नीच भेदभाव के समान अधिकार दिए गए हैं। इसी के साथ-साथ यदि कोई नागरिक किसी फैसले से सहमति नहीं रखता हैं तो उसको उस फैसले के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध करने का पूरा मौलिक अधिकार हैं।

एस्मा कानून इन सभी हालात को ध्यान मे रखकर बनाया गया हैं।

एस्मा कानून या आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून भारत की संसद मे 1968 को लागू किया गया था।

इस कानून के अंतर्गत धारा 2 मे लिखी हुई सेवाएँ जैसे परिवाहन, स्वास्थ्य आदि की सेवाएँ सुचारू रूप से चलाना होता हैं।

यदि इन महत्वपूर्ण विभाग के कर्मचारी किसी फैसले से असहमत होकर हड़ताल पर जाने का फैसला करते हैं और सरकार उनकी मांगों को न मानकर हड़ताल को समाप्त करने के लिए कहती हैं। परन्तु कर्मचारी ऐसा करने से मना करते हैं तो वहाँ की सरकार को एस्मा कानून लगाने का पूरा हक़ हैं।

उस क्षेत्र की सरकार एस्मा एक्ट के तहत हड़ताल पर बैठे कर्मचारी के खिलाफ कार्यवाही कर सकती हैं।

लेकिन सरकार को एस्मा एक्ट को लागू करने से पहले हड़ताल पर बैठे कर्मचारीयों को अखबार, रेडियो आदि के माध्यम से सूचना या चेतवानी देने का भी प्रवाधान हैं।

एस्मा एक्ट के क्या-क्या प्रवाधान हैं?

एस्मा एक्ट मे कुल 9 पप्रवाधान रखे गए हैं जो निचे दिए गए हैं।

धारा 1: सरकार एस्मा एक्ट को किस-किस क्षेत्र मे लागू कर सकती हैं और कितने समय के लिए कर सकती हैं यह सब उल्लेख किया गया हैं।

धारा 2: एस्मा एक्ट की सही शब्दों मे परिभाषा के साथ-साथ आवश्यक सेवाएँ दी गयी हैं।

धारा 3: यदि किसी क्षेत्र की सम्बंधित सरकार इस बात से सहमत हैं कि वहाँ पर लागू किये गए फैसले आम जनता के हित मे हैं तो वह एक आदेश के ज़रिये वहाँ की हड़ताल पर प्रतिबंध लगा सकती हैं।

धारा 4: यदि कोई कर्मचारी एक्ट लागू होने के बाद हड़ताल करता हैं या हड़ताल मे भाग लेता हैं तो उसको 6 महीने की जेल या 200 रुपए का जुर्माना देना होगा। या फिर दोनों भी हो सकते हैं।

धारा 5:  यदि कोई व्यक्ति अवैध रूप से हड़ताल को सहयता करते हुए पाया जाता हैं तो उसको 1 साल की जेल या 1000 रुपए का जुर्माना देना होगा। या फिर दोनों भी हो सकते हैं।

धारा 6: यदि कोई व्यक्ति हड़ताल के लिए दूसरे व्यक्ति को उकसाते हुए पाया जाता हैं तो उसको भी 1 साल की जेल हो सकती हैं और रुपए 1000 का जुर्माना भी देना होगा।

धारा 7: जो व्यक्ति इस कानून के खिलाफ अपराध करता हुआ पाया जाता हैं तो पुलिस को बिना वारंट के अपराधी को गिरफ्तार करने की शक्ति दी गयी हैं।

धारा 8: इस कानून को किसी दूसरे अधिनियम के कानून को रद्द करने का हक़ हैं जैसे यदि इस कानून के बीच मे किसी और कानून की धारा आती हैं तो प्राथमिकता एस्मा एक्ट को दी जाएगी।

धारा 9: सरकार को इस एक्ट को निरस्त करने का भी हक़ हैं। लेकिन निरस्त होने के बाद भी यदि इस एक्ट के अंतर्गत कोई कार्यवाही की जाती हैं तो वह वैध मानी जाएगी।

देश के विभिन्न राज्यों मे एस्मा एक्ट की क्या स्तिथि हैं?

जैसा कि आप सभी जानते हैं भारत एक विविधताओं वाला देश हैं।

यहाँ हर राज्य की अपनी जरुरते और चुनौतियां हैं जिन्हें पूरा करने के लिए सरकार को अलग-अलग तरीको से गुजरना पड़ता हैं।

ऐसे मे एस्मा एक्ट जो कि केन्द्रीय कानून हैं लेकिन राज्य सरकार को अपनी-अपनी जरुरतो के हिसाब से इसे लागू करने की अनुमति हैं।

ऐसे बहुत से राज्य हैं जों इस कानून को जरूरत पड़ने पर सीधे अपने राज्य मे लागू कर देते हैं लेकिन कुछ राज्य जरूरत के अनुसार बदलाव करके इस कानून को अपने राज्य मे लागू करते हैं।

  • राजस्थान एस्मा एक्ट- 1970
  • आंध्रप्रदेश एस्मा एक्ट- 1971
  • केरला एस्मा एक्ट- 1993
  • कर्नाटक एस्मा एक्ट- 1994

एस्मा एक्ट से राज्य सरकार और केंद्र सरकार को क्या फायदा होता हैं?

जैसा कि आप अभी तक इस कानून की शक्ति समझ ही गए होंगे। यह एक बहुत शक्तिशाली कानून हैं लेकिन इसको लागू करना सरकार की बुद्धि पर निर्भर करता हैं।

सरकार इस कानून को जरूरत पड़ने पर बिना कर्मचारी की जरूरत दबाये और आम जनता के जीवन पर बिना प्रभाव पड़े कैसे लागू करती हैं यह बहुत मायने रखता हैं।

इस कानून की सहायता से कर्मचारी की अनावश्यक हड़ताल रोकी जा सकती हैं। यदि एस्मा एक्ट लागू होता हैं तो हर कर्मचारी को अनुशासित रहने की और कानून का भय, दोनों ही रहता हैं।

इसी कारण से विपरीत स्तिथि मे भी सभी सेवाएँ अच्छी तरह से चल रही होती हैं।

निष्कर्ष:

एस्मा एक्ट सभी जरुरी सेवाओं को अच्छी तरह से बिना किसी रूकावट से चलाने का एक जरिया हैं जिससे कि आम जनता के जीवन पर कोई असर न पड़े।

लेकिन यदि अभी भी आपको इस कानून से जुड़े कुछ सवाल पूछने के इच्छा हैं तो आप निचे दिए गए फॉर्म को भर दे। हमारी टीम आपके सभी सवालों का जवाब देगी।

10 महत्वपूर्ण कानून जो आपको जानना चाहिए।